साइटिका नसों में सूजन

साइटिका नसों में सूजन

साइटिका में कमर से संबंधित नसों में सूजन आ जाने के कारण पूरे पैर में असहनीय दर्द होता है। यह न्यूरलजिया (तंत्रिका शूल) तंत्रिका में होने वाले दर्द का एक प्रकार है जिसमें साइटिका नर्व (गृध्रसी तंत्रिका) में कुछ कारणों से दबाव पड़ने लगता है। साइटिका में पीड़ा नितंबसंधि (Hipoint) के पीछे से प्रारम्भ होकर धीरे-धीरे बढ़ती हुई साइटिका नर्व के अंगूठे तक फैलती है। घुटने और टखने के पीछे पीड़ा अधिक रहती है और पीड़ा के साथ शून्यता भी हो सकती है। इस रोग की गम्भीर अवस्था में असहनीय पीड़ा के कारण रोगी बिस्तर पर पड़ा रहता है। रोग पुराना होने के साथ पैर में क्षीणता और सिकुड़न आ जाती है।

साइटिका क्या है?

आयुर्वेद में साइटिका को गृध्रसी रोग कहा गया है। पैर में होने वाली पीड़ा के कारण व्यक्ति के चलने का तरीका गिद्ध (Vulture) के समान हो जाता है इसलिए इसे गृध्रसी कहा गया है। आयुर्वेद में इसे वात रोगों के अन्तर्गत रखा गया है। यह बढ़े हुए वातदोष एवं दूषित कफदोष के कारण होता है। अत्यधिक वातप्रकोपक आहार जैसे- बीन्स, अंकुरित अनाज, डिब्बाबंद भोजन, शुष्क एवं शीतल पदार्थ, कटु तथा कषाय रसयुक्त द्रव्यों के अधिक सेवन करने से या फिर अत्यधिक उपवास करने से, बहुत देर खड़े रहने या बैठे रहने से वातदोष की वृद्धि होती है जिस कारण गृध्रसी और अन्य तरह के वात रोग शरीर में उत्पन्न होते हैं।

यह रोग अधिक मेहनत करने वाले या भारी वजन उठाने वाले व्यक्तियों में होता है। आमतौर पर यह समस्या 50 वर्ष की उम्र के बाद ही देखी जाती है। व्यक्ति के शरीर में जहाँ-जहाँ भी हड्डियों का जोड़ होता है, वहां एक चिकनी सतह होती है जो हड्डियों को जोड़े रखती है, उम्र बढ़ने के साथ यह चिकनी सतह घिसने लगती है तब हड्डियों पर इसका बुरा असर होता है जिसके कारण असहनीय दर्द होता है।

साइटिका क्यों होती है?

वैसे तो मुख्य रूप से इस परेशानी का संबंध प्रौढ़ावस्था से होता है। हड्डियों तथा उनके बीच चिकनी सतह का घिस जाती है। हर्निएटेड डिस्क के कारण, इसे स्लिप डिस्क (Slip disk) भी कहते हैं। इसमें रीढ़ की हड्डी कार्टिलेज (Cartilage) के टुकड़ों से अलग हो जाती है, हर्निएटेड डिस्क (Herniated disk) तब होती है जब कार्टिलेज की पहली परत हट जाती है। अन्दर के पदार्थ साइटिक तंत्रिका को संतुलित कर सकते हैं जिसके परिणामस्वरूप निचले अंग में दर्द और सुन्नता हो जाती है।

साइटिका के लक्षण

यह रोग अधिक मेहनत करने वाले या भारी वजन उठाने वाले व्यक्तियों में होता है। आमतौर पर यह समस्या 50 वर्ष की उम्र के बाद ही देखी जाती है। व्यक्ति के शरीर में जहाँ-जहाँ भी हड्डियों का जोड़ होता है, वहां एक चिकनी सतह होती है जो हड्डियों को जोड़े रखती है, उम्र बढ़ने के साथ यह चिकनी सतह घिसने लगती है तब हड्डियों पर इसका बुरा असर होता है जिसके कारण असहनीय दर्द होता है।

जब यह कड़ी हो जाती है तो आपकी साइटिका नर्व पर दबाव पड़ता है जिससे साइटिका हो जाता है। लम्बे समय तक बैठे रहने से, गिरने से या किसी दुर्घटना के कारण गंभीर पिरिफॉर्मिस सिंड्रोम (Piriformis syndrome) हो सकता है।


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